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Sunday, June 27, 20100 comments

‘सतपुड़ा हिल्स‘ शुरू करने का विचार मेरे मन में तब आया जब मैं एक अध्ययन के दौरान सतपुड़ा अंचल के गांव-गांव घूमा। यहां के लोगों से मिला। इस दौरान मुझे दोनों तरह के अनुभव हुए। एक तो यहां बहुत अभाव है, गरीबी है, कष्ट है। जीवन संघर्ष हैं।

दूसरी तरफ यहां सुखद परंपराएं हैं। सतपुड़ा पर्वत में बहुत समृद्ध जैव-विविधता है, वन्य जीव, औषधियां, कंद-मूल और अच्छा पर्यावरण है।

इसका एक अच्छा उदाहरण होशंगाबाद जिले में है। इस जिले के पिपरिया विकासखंड में कोरकू आदिवासी पहाड़ी नदियों से अपने खेतों तक पानी लेकर आए।  और प्यासे खेतों को तर किया। धन-धान्य से भरपूर हो गए।

सतपुड़ा के पहाड़ों में ही बैगा आदिवासी जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से उपयोगी बेंवर खेती करते हैं, जो भोजन व स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

देश-दुनिया में आज पर्यावरण का संकट है़। इसलिेए जैव-विविधता व पर्यावरण को बचाना जरूरी है। इन सबका दस्तावेजीकरण करना आवश्यक है।

 पर्यावरण, संस्कृति, मौखिक इतिहास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जीवन से जुड़े जन आधारित सभी मुद्दों पर हमारी रूचि रहेगी। समता, न्याय, शांति,लोकतंञ, पर्यावरण आदि से हमारा गहरा सरोकार है।

 हम इस बेवसाइट को एक ऐसा मंच बनाना चाहते हैं जिसमें इन सभी मुद्दों पर आपसी विचार-विमर्श हो, बहस हो और जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश हो।

हम यहां होशंगाबाद जिले के पिपरिया कस्बे में रहते हैं, जो भोपाल-जबलपुर रेल लाइन के मध्य में स्थित है। यहां से पचमढ़ी मात्र 55 किलोमीटर दूर है। पचमढ़ी हिल स्टेशन है और सतपुड़ा की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ यहीं है। पिपरिया के उत्तर में 20 किलोमीटर दूर सांडिया से नर्मदा होकर गुजरती है।

हमारी बहुत छोटी से टीम है, लेकिन इस काम में बहुत से साथियों का मार्गदर्शन और सहयोग मिला है। आशा है, इस काम में आप सबका सहयोग भी मिलेगा।

 संपर्क 
बाबा मायाराम
babamayaram@gmail.com
satpura.hills@gmail.com


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