जल सत्याग्रह जारी है...

Wednesday, September 4, 20130 comments

इंदिरा सागर परियोजना से प्रभावित विस्थापितों के खंडवा, हरदा, और देवास में गत1 सितंबर से जल सत्याग्रह शुरू करते ही प्रशासन ने पुलिस द्वारा जल सत्याग्रह को खत्म करने का प्रयास किया गया है. खंडवा जिले के ग्राम बढ्खालिया में सत्याग्रह स्थल को तोडा गया, आंदोलन की कार्यकर्ता चित्तरूपा पालित को गिरफ्तार कर इंदौर ले जाया गया. इसी प्रकार देवास के ग्राम मेल पिपलिया और हरदा जिले के ग्राम उवां में सैकड़ो प्रभावितों को गिरफ्तार किया गया है. इन गिरफ्तारियों के बावजूद हरदा और देवास जिले में सैकड़ों प्रभावित जल सत्याग्रह जारी रखे हुए है.

खंडवा जिले के डूब के गाँव बडखालिया में बहुत सुबह जल सत्याग्रह प्रारंभ होते ही भारी पुलिस बल द्वारा सत्याग्रह स्थल पर तोड़ फोड़ की गई और आंदोलन की प्रमुख कार्यकर्ता चित्तरूपा पालित को गिरफ्तार कर लिया गया. बडखालिया जाने वाले सभी रास्तों पर पुलिस लगाकर विस्थापितों को सत्याग्रह स्थल पर जाने से रोका गया और ग्राम बडखालिया में पुरे गाँव में पुलिस भर दी गई.

देवास जिले के ग्राम मेल पिपलिया में कल रात से ही पुलिस बल तैनात कर दिया गया और सुबह 400 जल सत्याग्रहियों को गिरफ्तार किया गया, पर इसके बाद ही 1000 सत्याग्रही पानी में बैठ गए.

जिला हरदा के ग्राम ऊवां में भी सैकड़ों की संख्या में विस्थापितों ने सुबह से ही जल सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया गया. सभी सत्याग्रहियों को भारी पुलिस द्वारा घेर लिया गया और लगभग 200 महिला पुरुषों को गिरफ्तार कर हरदा लाया गया है

जगह जगह पुलिस कार्यवाही के बावजूद हरदा के ग्राम बिछौला, जिला देवास के ग्राम मेल पिपलिया में सैकड़ों परिवारों द्वारा जल सत्याग्रह जारी रखा गया है और सैकड़ो प्रभावित पानी में सत्याग्रह कर रहे हैं..

नर्मदा बचाओ आंदोलन राज्य सरकार के विस्थापितों पर पुलिस द्वारा दमन की निंदा करता है. वर्षों से उजड़े हुए प्रभावितों को पुनर्वास देने के स्थान पर उनके शांतिपूर्ण जल सत्याग्रह को कुचलने की कोशिश एक शर्मनाक कदम है. नर्मदा बचाओ आंदोलन मांग करता है की हज़ारों जल सत्याग्रही बाँध प्रभावितों के अधिकारों को तत्काल दिया जाए.

उल्लेखनीय है कि देश के सबसे बड़े बांध इंदिरा सागर से 254 गाँव प्रभावित हुए हैं. जमीन के बदले जमीन की नीति होने के बावजूद एक भी प्रभावित को जमीं दिए बिना बहुत थोडा मुआवजा देकर उजाड़ दिया गया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 85% से अधिक किसान कोई जमीन नहीं खरीद पाए और भूमिहीन बन गए हैं. सर्वोच्च न्यायलय व् उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद गत वर्ष बांध का जल स्तर 262 मीटर तक भर दिया गया था. परियोजनाकर्ता और सरकार की योजना के अनुसार 1 सितम्बर से इंदिरा सागर परियोजना का जल स्तर 260 मीटर से बढ़ाकर 262 मीटर तक भरना चालू किया जाना है.

प्रभावितों की मांग है कि किसानो को ज़मीन के बदले ज़मीन और न्यूनतम 5 एकड़ ज़मीन दिया जाये और मजदूरों को 2.5 लाख रुपये का अनुदान दिया जाये ताकि किसान और मजदूर विस्थापन के बाद अपना जीवन और जीविका बेहतर ढंग से चला सके, डूब से प्रभावित हजारो खेत और मकान का भूअर्जन किया जाये, सम्बंधित हज़ारो परिवारों का संपूर्ण पुनर्वास किया जाये और इंदिरा सागर बाँध का जल स्तर 260 मीटर के ऊपर न ले जाया जाये.

                                                                                                                                        -आलोक अग्रवाल
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